Ad

नीतीश कुमार

बिहार में 11 जिले घोषित हुए सूखाग्रस्त, हर परिवार को मिलेंगे 3500 रुपये

बिहार में 11 जिले घोषित हुए सूखाग्रस्त, हर परिवार को मिलेंगे 3500 रुपये

इस साल कई राज्यों में मानसून की बेरुखी देखने को मिली है, जिसके कारण राज्यों के कई जिलों में सामान्य से कम बरसात दर्ज की गई। इसका असर यह हुआ है कि राज्य में सूखे जैसे हालत बन गए हैं और कई किसानों की खेत में खड़ी फसलें तबाह हो गईं हैं। कुछ इस प्रकार का दृश्य बिहार में ज्यादा देखने को मिल रहा है। बिहार में इस साल लगभग 11 जिलों में सामान्य से कम बरसात हुई है, जिसके कारण खरीफ की फसलें सूख गईं हैं और उत्पादन में पिछले साल की अपेक्षा लगभग 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इस बार कम बरसात की वजह से बिहार के कई जिलों में धान रोपाई का रकबा भी घटा है, जिसका सीधा असर धान के उत्पादन पर पड़ा है। इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी अध्यक्षता में कैबिनेट की एक मीटिंग बुलाई और राज्य के 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐलान किया है कि सूखाग्रस्त गांवों में रहने वाले प्रत्येक परिवार को बिहार सरकार सहायता राशि के तौर पर 3500 रूपये का अनुदान प्रदान करेगी। यह अनुदान राशि सरकार के द्वारा सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाएगी।


ये भी पढ़ें: स्प्रिंकल सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए ९० प्रतिशत तक अनुदान दे रही है सरकार

किन-किन जिलों को किया गया है सूखाग्रस्त घोषित

बिहार सरकार ने ऐसे 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है जहां सामान्य से कम बरसात हुई है। इन जिलों में जहानाबाद, गया, औरंगाबाद, शेखपुरा, नवादा, मुंगेर, लखीसराय,भागलपुर, बांका, जमुई और नालंदा का नाम शामिल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट बैठक में कहा है कि अब इन 11 जिलों के 96 प्रखंडों के सभी 7841 गांवों को सूखग्रस्त माना जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि इन 11 जिलों में सबसे ज्यादा मार जमुई जिले के ऊपर पड़ी है। इस बार जमुई में मात्र 20 प्रतिशत धान के रकबे में ही धान की रोपाई की गई है। इसके बाद बांका का नम्बर है, इस जिले में भी इस बार मात्र 37 प्रतिशत धान के रकबे में ही धान की रोपाई की गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार सरकार ने बिहार आकस्मिक निधी से 500 करोड़ रुपये निकाले हैं। इन पैसों के द्वारा सूखाग्रस्त गावों के हर एक परिवार को 3500-3500 रूपये दिए जायेंगे। इसके अलावा किसानों की विशेष सहायता पर भी बिहार सरकार 600 करोड़ रूपये खर्च करने जा रही है।

बाढ़ से प्रभावित हुई फसल पर भी मिलेगा मुआवजा

जहां राज्य के कई जिलों में कम बरसात की वजह से सूखे के हालत है, तो कुछ जिलों में अतिवृष्टि के कारण फसलें चौपट हो गईं हैं। इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जल्द ही खराब हुई फसलों के लिए भी मुआवजे का ऐलान किया जाएगा। इसके लिए फिलहाल सर्वे का काम किया जा है। खेतों में पानी जमा होने के कारण सर्वे करने में कठिनाई आ रही है। जल्द ही सर्वे का काम निपटाया जाएगा और फसल की क्षतिपूर्ति कृषि इनपुट सब्सिडी के तौर पर किसानों को बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिया जाएगा।


ये भी पढ़ें: बिहार में मशरूम की खेती करने पर सरकार दे रही 90 फीसदी अनुदान

सामान्य से 40 प्रतिशत कम हुई बरसात

इस साल बिहार में सामान्य से 40 प्रतिशत तक कम बरसात हुई है। कई जिलों में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत के ऊपर तक पहुंच गया है। हर साल बिहार में मानसून के दौरान 992 मिमी बारिश होती है, इसे सामान्य बरसात माना जाता है। लेकिन इस बार प्रदेश में मानसून के दौरान मात्र 683 मिमी बरसात ही दर्ज की गई है जो सामान्य से 40 फीसदी कम है। खरीफ सीजन को मानसून पर आधारित सीजन माना जाता है, इस बार कम बरसात होने की वजह से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही राज्य के कई बांध और तालाब खाली पड़े हैं। जिनमें इस साल पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है।

भीषण सूखे की वजह से धान के रकबे में हुई घटोत्तरी

धान की फसल के लिए पानी बेहद जरूरी संसाधन है। पर्याप्त पानी के बिना धान की फसल को उगाना बेहद मुश्किल काम है। इस साल सूखे की वजह से राज्य में धान के रकबे में भारी कमी आई है। अगर रकबे की तुलना पिछले साल से करें तो इस साल 1.97 लाख हेक्टेयर कम जमीन पर धान की खेती की गई है, जिसका सबसे बड़ा कारण पानी की घटती उपलब्धता है।
दिवाली और महापर्व छठ पर बिहार सरकार ने दिया अनोखा गिफ्ट, खुल रहे हैं इतने नए कृषि कॉलेज!

दिवाली और महापर्व छठ पर बिहार सरकार ने दिया अनोखा गिफ्ट, खुल रहे हैं इतने नए कृषि कॉलेज!

दिवाली और महापर्व छठ के अवसर पर बिहार सरकार ने बिहार वासियों के लिए बहुत बड़ी सौगात दी है। कृषि के क्षेत्र में हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने नए कृषि महाविद्यालय खोलने का मन बना लिया है। एक्सपर्ट का मानना है की इस तरह के फैसले से बिहार के कृषि जगत में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत का कहना है की नए कृषि महाविद्यालय के खुलने से कृषि के क्षेत्र में क्रांति आएगी। कुमार सर्वजीत के अनुसार, कृषि महाविद्यालय के खुलने से जमीनी स्तर पर भारी बदलाव देखने को मिलेगा और साथ ही साथ अगले कुछ वर्षों में बिहार राज्य कृषि के क्षेत्र मे अग्रसर होगा। इससे लोगों को कृषि से जुड़ी हुई शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी जिससे किसान सफलतापूर्वक खेती करने में सक्षम हो पाएंगे। बिहार भारत का एक ऐसा राज्य है जो मुख्य रूप से कृषि उत्पादन के लिए जाना जाता है। बिहार में लगभग 1.5 करोड़ किसान हैं, यदि ये किसान आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती करना नहीं जानते हैं, तो वे प्रगति नहीं कर सकते। बिहार में कृषि अनुसंधान और शिक्षा को प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि राज्य में उगाई जाने वाली फसलें उच्च कोटि की और सुरक्षित हों।


ये भी पढ़ें:
बागवानी की तरफ बढ़ रहा है किसानों का रुझान, जानिये क्यों?
कुमार सर्वजीत ने कहा कि जरूरत के मुताबिक नए कॉलेज खोले जाएंगे और छात्र अपनी जरूरत के हिसाब से बेहतरीन कॉलेज ढूंढ सकेंगे। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने अपने विभागीय अधिकारियों से चर्चा करते हुए यह निर्देश भी दिया की जल्द से जल्द कृषि महाविद्यालय खोलने हेतु जगह का चयन किया जाए, साथ ही कृषि उन्नति के लिए हर तरह की संभावनाओं को तलाश किया जाए।

ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का मिलेगा भरपूर लाभ

सरकार पारंपरिक कृषि आधारित शिक्षा के तरीके को बदलना चाहती है ताकि भविष्य में किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का लाभ उठा सके. सरकार का यह कदम बिहार के विकास मे काफ़ी मदगार साबित होने वाला कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों मे कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दूसरी तरफ दक्षिण बिहार में सरकार बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाने की तैयारी कर रही है, जिससे इस क्षेत्र के किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से लाभान्वित हो सकेंगे।


ये भी पढ़ें: शहर में रहने वाले लोगों के लिए आयी, बिहार सरकार की ‘छत पर बाग़बानी योजना’, आप भी उठा सकते हैं फ़ायदा
दक्षिण बिहार के जिलों में वाटरशेड उन्नत करने पर भी जोर दिया जा रहा है। किसानों की परेशानी दूर करने के लिए डिजिटल कृषि की शुरुआत करने की भी बात हो रही है। इससे कृषि से जुड़ी सभी सुविधाएं डिजिटल युग के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। कृषि मंत्री ने तय समय में समस्याओं के समाधान के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।

इन संकायों में कृषि अध्ययन

उपहार में देश के तहत कृषि अनुसंधान संस्थान बिहार कृषि विश्वविद्यालय, मीठापुर परिसर में कृषि व्यवसाय नियंत्रण महाविद्यालय, बिहार कृषि महाविद्यालय के तहत सबौर, भागलपुर में एक कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय और बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आरा, भोजपुर में कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज एक नजर चल रहा है। इसके अलावा राजेंद्र प्रसाद प्राथमिक कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अंतर्गत पंडित दीन दयाल उपाध्याय उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय मोतिहारी संचालित है। आपको हम याद दिला दें कि धनतेरस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सूखा पीड़ित किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया है। सीएम नीतीश ने घोषणा की है कि इस साल छठ पूजा से पहले सूखे से प्रभावित हर किसान परिवार के खाते में 3500 रुपये की राशि ट्रांसफर की जाएगी। पहले चरण में सीएम नीतीश ने कहा था कि जिलों को 500 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। सूखाग्रस्त फंड देने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक जिले के डीएम के साथ आमने-सामने वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान सीएम ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि छठ पूजा से पहले सभी किसान परिवारों के खातों में 3500 रुपये की राशि ट्रांसफर की जाए। गौरतलब है की सरकार बदलते ही बिहार के कृषि जगत मे भारी बदलाव दिखने को मिल रहा है। आधुनिक रूप से कृषि को बढ़ावा देने के साथ ही बेहतर प्रबंधन के साथ-साथ बिहार के कायाकल्प की तैयारी की जा रही है।
खुशखबरी: ये सरकार किसानों के लिए बढ़ाने जा रही है उसना चावल के मिलों की सँख्या

खुशखबरी: ये सरकार किसानों के लिए बढ़ाने जा रही है उसना चावल के मिलों की सँख्या

बिहार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशन में बिहार में कृषि विकास का चतुर्थ प्रारूप निर्धारित किया जा रहा है। बिहार में उसना या उबला चावल मिलों की तादात में वृद्धि की जाएगी। इसको लेकर एक दिन पूर्व ही बिहार राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिए हैं कि बिहार में कृषि उत्थान का चौथा प्रारूप भी प्रबंधित किया जाय। भारत एक कृषि प्रधान देश है, कृषि भारत की रीढ़ की हड्डी है। भारत की कोई भी राज्य सरकार हमेशा कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। दूसरी तरफ बिहार सरकार ने भी बिहार में कृषि उन्नति का प्रारूप बड़े स्तर पर खींचना प्रारंभ कर दिया है। प्रदेश में चौथे कृषि प्रारूप का कार्य किया जा रहा है, इस दौरान कृषि आश्रित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करने प्रयास भी बिहार सरकार कर रही है। बिहार में लोग उसना चावल अधिक उपयोग करते हैं। काफी समय से प्रशासनिक स्तर पर उसना चावल मिलों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा दिये गए निर्देशानुसार समस्त अधिकारी, हर एक जनपद में उसना चावल मिल बढ़ाने का कार्य करेंगे जिससे चावल के उत्पादन में वृद्धि के साथ मिलों एवं उनकी देखरेख उचित प्रकार से हो सके।

ये भी पढ़ें: केंद्र द्वारा टूटे चावल को लेकर बड़ा फैसला

बिहार के धान की कितनी एमएसपी है ?

बिहार में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया गया है। इस सीजन में धान का एमएसपी रेट २०४० रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। जिला वार धान खरीद की कार्रवाई अलग तरह होगी यानि हर जनपद के लिए धान खरीद का लक्ष्य अलग रखा जाएगा। बतादें कि जिला स्तर के अधिकारी द्वारा धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया जायेगा।

बिहार में कितनी प्रतिशत आबादी कृषि पर आश्रित है ?

बिहार में वर्ष २००८ से कृषि के लिए प्रारूप निर्मित किया जा रहा है। राज्य सरकार का उद्देश्य कृषि एवं संबद्ध इलाकों की शीघ्र उन्नति और प्रगति से विकास करना है, बिहार राज्य की ७५ प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। स्टेट गवर्नमेंट हर खेत तक सिंचाई पहुॅचाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है, अधिकारियों का दावा है कि बिहार के हर घर तक बिजली पहुंच गई है।